5 Simple Statements About कोकिला-व्रत-कथा Explained

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करे। साथ ही इस दिन अपने दिन की शुरुआत सूर्य को अर्घ देने के साथ करें।

पूजा के दौरान भगवान शिव को सफेद फूल और माता सती को लाल फूल अवश्य चढ़ाएं।

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भगवान शिव को जब सती के बारे में पता चलता है तो वह यज्ञ को नष्ट कर, दक्ष के अहंकार का नाश करते हैं। सती की जिद्द के कारण प्रजापति के यज्ञ में शामिल check here होने तथा उनकी आज्ञा न मानने के कारण वह देवी सती को भी श्राप देते हैं, कि हजारों सालों तक कोयल बनकर नंदन वन में घूमती रहें।

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व्रत के दौरान दिनभर उपवास रखें और शाम को पूजा और आरती के बाद फलाहार करें।

इस व्रत को करने से दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

यह व्रत भौम दोष से मुक्ति दिलाने में भी सहायक होता है, जो विवाह में बाधा डालता है।

मंदिर जाकर भगवान शिव का गंगाजल और पंचामृत से अभिषेक करें।

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राजा दक्ष एक बार यज्ञ का आयोजन करते हैं। इस यज्ञ में वह सभी लोगों को आमंत्रित करते हैं ब्रह्मा, विष्णु व सभी देवी देवताओं को आमंत्रण मिलता है किंतु भगवान शिव को नहीं बुलाया जाता है।

शिवजी और सती माता का ध्यान कर व्रत का संकल्प लें।

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